प्रशिक्षण में सीकर जिले के 36 आदान विक्रेताओं ने भाग लिया

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आदान विक्रेताओ के लिए कृषि विस्तार सेवाओं में िर्डप्लोमा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह आयोजित


सीकर 21 नवम्बर। कृषि विज्ञान केन्द्र, फतेहपुर (सीकर) में एक वर्षीय आदान विक्रेताओ के लिए कृषि विस्तार सेवाओं मे डिप्लोमा प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि संयुक्त  निदेशक (कृषि) ,सीकर प्रमोद कुमार रहे। प्रमोद कुमार ने मैनेज, हैदराबाद (मेनेज) द्वारा देश मे  ंसंचालित ‘डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विसे जफरइनपुटडीलर्स(डेईसी) नामक एक साल का डिप्लोमा कोर्स डिजाइन किया था, जो सुसज्जित करने के लिए प्रासंगिक और स्थान-विशिष्ट शिक्षा प्रदान करता है। इन इनपुट डीलरों को पर्याप्त ज्ञान के साथ उन्हें पैरा-विस्तार पेशेवरों मे बदलने के लिए उन्हें क्षेत्रा स्तर पर किसानों द्वारा दिन-प्रतिदिन की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाया जा सके।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. शीशराम ढाका ने उर्वरक विक्रेताओं से आग्रह किया की किसानों को उचित मात्रा, खाद्य एव कीटनाशकां का प्रयोग के लिए प्रेरित करना ह, जिससे किसान, पर्यावरण, जमीन और उपभोगताओं का स्वास्थ्य एवं वातावरण सही रहें। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार दुलड़ ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या एवं खेत के घटते क्षेत्रफल के साथ कम उत्पादन एव अधिक लागत के कारण किसान उर्वरकों का ज्यादा प्रयोग कर रहे है। उन्होंने कहा कि हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। कि उत्पादन बढ़ाने के साथ वातावरण को संतुलित रखें। प्रशिक्षण प्रभारी डॉ सहदेव सिंह ने बताया कि भारत में, एग्री-इनपुट डीलरों का लगभग 2.82 लाख प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो कृषक समुदाय को कृषि की जानकारी के प्रमुख स्रोत हैं। अधिकांश किसानों के लिए पहला संपर्क बिंदु कृषि-इनपुट डीलर रहे। खेती के संचालन के लिए आवश्यक विभिन्न आदानों की खरीद करते समय, किसान स्वाभाविक रूप से इनपुट डीलर के उपयोग से गुणवत्ता और मात्रा दोनों के बारे में पता लगाने की कोशिश करता है। हालांकि, इन इनपुट डीलरों में से अधिकांश के पास औपचारिक शिक्षा नहीं है। कृषि अधिकारी सज्जन सिंह, शस्य वैज्ञानिक डॉ लालाराम तथा विषय विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र कुमार ने डीलर्स से आग्रह किया कि आप अपना अपेक्षित ज्ञान प्रदान कर के पैरा-विस्तार पेशेवरों के रूप में आकार दिया जा सकता है। इस दौरान सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम का संचालन शस्य वैज्ञानिक डॉ लालाराम ने किया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया।


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