कृषक संवाद कार्यक्रम आयोजित

  ख़बर गवाह 

सीकर, 7 सितम्बर। सीकर जिले में कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को किसान आयोग अध्यक्ष महादेव सिंह खण्डेला की अध्यक्षा में किया गया कार्यक्रम में किसान आयोग के गणमान्य सदस्य व जिले के प्रगतिशील कृषक व पशुपालक, मत्स्य पालक, कुक्कुटू पालक, कृषि श्रमिक, मण्डी श्रमिक, किसान संगठन, व अन्य स्टेक होल्डरस, राजस्थान किसान आयोग के सदस्यों ने भाग लिया।

इस दौरान डाॅ0 राजेश मान सदस्य पूर्व निदेशक पशुपालन डेयरी विशेषज्ञ, सुरेन्द्र कुमार जैन सदस्य पूर्व निदेशक राजस्थान राज्य बीज प्रमाणीकरण निर्यात विशेषज्ञ, डाॅ. सुखदेव सिंह बुरड़क सदस्य पूर्व निदेशक अनुसंधान कृषि अर्थशात्री, ओ. पी. खेदड़ सदस्य, पूर्व डीन कृषि महाविद्यालय नोगांव जैव कृषि विशेषज्ञ, डाॅ. बीरबल मील सदस्य प्रमुख वैज्ञानिक काजरी फसलोत्तर प्रबंध विशेषज्ञ, कार्यक्रम में नवाचारी कृषकों द्वारा किसान आयोग के सामने विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किये गए। प्रस्ताव में सीकर जिले में कृषि विश्वविद्यालय खुलने से शेखावाटी के कृषक सीधे तरीके से लाभान्वित होंगें। फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए तारबंदी अनुदान योजना पर अनुदान 50 प्रतिशत से बढाकर 75 प्रतिशत किया जावें। जैविक खेती को बढावा देने के लिए राज्य में जैविक खेती प्रोत्साहन के लिए राजस्थान जैविक कमोडिटी बोर्ड का अलग से गठन किया जावें तथा सीकर जिले में इसका अलग से कार्यालय खोला जावे। कृषि में विभिन्न गतिविधियों यथा- फव्वारा सिंचाई संयंत्र, सिंचाई पाइप लाइन, उन्नत कृषि यंत्र इत्यादि पर देय अनुदान कम से कम 75 प्रतिशत किया जावें। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए कृषकों को रूपये 5000 प्रति हैक्टेयर की दर से प्रोत्साहन राशि दी जावें। कृषि में प्रयुक्त होने वाले कृषि आदान (बीज, खाद, दवाई), मशीनरी, यंत्र इत्यादि को जीएसटी से मुक्त किय जावें। कृषि कार्य के लिए बिजली मुफ्त में दी जावें। विभिन्न कार्यक्रमों के लिए भौतिक लक्ष्य बढाये जावें, फार्म पौण्ड, तारबंदी इत्यादि की ईकाई लागत बढाई जावें। साथ ही मनरेगा में कृषि कार्यो को जोडा जावें। कृषि कार्यों के लिए प्रयुक्त होने वाले डीजल पर कृषकों को 50 प्रतिशत सब्सीडी दी जावें। कृषकों को कृषि करने के लिए रबी व खरीफ सीजन में एक मुश्त कृषि आदान अनुदान के लिए रूपये 5000 प्रति हैक्टेयर की दर से सहायता राशि दिलवाई जावें। कृषकों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का समुचित लाभ दिलवाने के लिए राज्य सरकार को स्वयं की अपनी बीमा कंपनी बनाकर किसानों को राहत दी जावें।राज्य की प्रत्येक विज्ञान संकाय के सीनियर सैकंडरी स्कूलों में कृषि संकाय भी खोला जावें। फतेहपुर कृषि काॅलेज को स्नोत्कोत्तर स्तर तक किया जावें। सीकर कृषि खंड मुख्यालय पर कृषि आदानों की गुणवत्ता विश्लेषण के लिए बीज, उर्वरक व कीटनाशी आदानों विश्लेषण प्रयोगशालाऎं खोली जावें। प्रत्येक कृषक को ब्याज रहित ऋण 2.00 लाख रूपये का दिलवाया जावें। सीकर जिले में जैविक खेती का एक्सीलैंस सेंटर खोला जावें।प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एक फारमर्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जावें। जिन कृषकों के पास भूमि नहीं है एवं वे उन्नत पशुपालन करते है उनकों पशुपालन क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की जावें। वर्षा जल संरक्षण को बढावा देने  के लिए फार्म पौंड निर्माण के लक्ष्य बढाये जावें, साथ ही अनुदान प्रतिशत को भी 60 प्रतिशत से बढाकर कम से कम 75 प्रतिशत किया जावें। प्रत्येक ग्राम पंचायत पर कृषि पर्यवेक्षक का पद सृजित किया जावे। प्रत्येक पंचायत समिति मुख्यालय पर कृषि अधिकारी का पद सृजित किया जावे। सौर ऊर्जा द्वारा संचालित नलकूप के लक्ष्य तथा अनुदान राशि में वृद्वि की जावे। राज्य किसान आयोग को राज्य संवैधानिक दर्जा दिया जावे। सरंक्षित खेती ग्रीन हाउस,शेडनेट हाउस जल सरक्षंण के लिए व्यक्तिगत एवं सामुदायिक जल स्रोत, जल बचत के लिए ड्रीप,मिनि स्पि्रंकलर आदि के भौतिक एवं वित्तिय लक्ष्य, अनुदान प्रतिशत आदि को बढावा दिया जावे व फसलोत्तर प्रबन्ध तकनीकी, भण्डारण को बढावा देने के लिए योजना तैयार की जावे। पशुपालन के कार्य में आने वाले उपकरणो पर अनुदान दिया जावे। पशुपालन के लिए उचित विपणन की व्यवस्था की जावे। फसलों की एम.एस.पी. दर महंगाई दर के अनुरूप बढाई जावे। कार्यक्रम में हरदेवसिंह बाजिया उप निदेशक कृषि विस्तार सहित किसान बड़ी संख्या में उपस्थि रहें।

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