किसानों के भले के लिए कई लोग और संगठन लगे हुए हैं लेकिन पत्ता नहीं
चल रहा है कि क्यों किसानो का भला नहीं हो पा रहा है? आज कवर स्टोरी
में बात इसी मुद्दे पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीकर में लग
रहे खाद्यान्न महोत्सव पर।
कोविड एपिसोड के बाद ये दूसरा महोत्सव है जिसके पीछे प्राकृतिक
खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगने वाला यह दूसरा महोत्सव है। सीकर के
जमनालाल कनीराम बजाज ट्रस्ट द्वारा सीकर में 25 तारीख से 27
तारीख तक एक खाद्यान्न महोत्सव की शुरुवात
हुई है।
जोहार मैं डॉ. नीरज मील और मुद्दों के सबसे सही सटीक एवं बेबाक विश्लेषण के लिए आप बने हुए हैं खबर गवाह पर प्राकृतिक खेती में सबसे बड़ी समस्या है बाज़ार और जोखिम की। बड़ी बात है ही यही कि किसानों की इस समस्या पर 1950 से अब तक सरकारों ने क्या किया है वो आपके सामने है। आगे बढ़े उससे पहले आइये जानते हैं सीकर के जिले के प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के नाम पर हो रहे इस महोत्सव को लेकर ज्यादा जानकारी ट्र्स्ट के ही प्रतिनिधि ने दी।
यह सच है कि जैविक खेती के हुल्लड़बाजी के बीच किसानों और आमजन का भला प्राकृतिक खेती में ही है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि किसान जिन्दा रहे तो फिर भी प्राकृतिक खेती की ओर लौट आयेंगे लेकिन ये बाजार कब प्राकृतिक होंगे जो हर चीज में जहर के अलावा कुछ नहीं दे रहे। बहरहाल, इस महोत्सव में आये कुछ किसानों से भी बात हुई हैं.............
हमने इस महोत्सव में आए कुछ लघु उद्योग में लगे लोगों से भी बात भी
की हैं। इस तरह आपने देखा कि किसान किस हालात में और उम्मीद है उस मर्म को भी आपने
समझा और महसूस किया होगा जो किसी ने नहीं कहा। आज सरकारों को चाहिए कि वे किसानों
को सपोर्ट करें लेकिन जो हो रहा है वो आप सब के सामने है। इस एपिसोड में इतना ही
लेकिन खबर गवाह पर जनता के मुद्दों पर उलगुलान जारी रहेगा। फिलहाल के लिए, दीजिए
इजाजत जोहार।
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