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जिले में बाल विवाह की रोकथाम के संबंध में प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश
सीकर 04 नवम्बर। राज्य सरकार बाल विवाह की कुरीति को जड़ से समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है। जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने आदेश जारी कर समस्त जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए है कि देवउठनी एकादशी व अन्य अवसरों पर अबूझ सावा होने के उपलक्ष्य में बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम व तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों, वृत्ताधिकारी, थानाधिकारी, पटवारियों, भू—अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम सेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग के अध्यापकों, नगर परिषद एवं नगर पालिका के कर्मचारियों, जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार—प्रसार करने एवं आम जन को जानकारी कराते हुए जन जागृति उत्पन्न करने एवं बाल विवाह रोके जाने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाये। बाल विवाह होने पर निकट पुलिस थानें में सूचना देने का दायित्व वहन करें।उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकथाम के लिए जिला स्तर पर जिला कलेक्ट्रेट में उप निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग में एवं उपखण्ड के उपखण्ड़ अधिकारी कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया जाये जो 24 घंटे क्रियाशिल रहेंगे।
जिला कलेक्टर ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्व आदि विभागों के अधिकारियों, कार्यकताओं, महिला एवं किशोंरी समूह की टीमें गठित कर उन्हें बाल विवाहों के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों के बारें में जागरूकता फैलाने के साथ ही रैलियों आयोजित की जावे।
सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव, मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो उन्हें समझाईश करें। जहां आवश्यक हो कानून द्वारा बाल विवाहों को रोका जावे।
उन्होंने बताया कि उपखण्ड़ मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्र में विधिक विभाग से सांमजस्य स्थापित कर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करावें। किशोरी स्कूल जाने वाली, स्कूल बीच में छोड़ देने वाली बालिकाओं के मेले आयोजित कर उनमें बाल विवाह नहीं करने के निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जाये। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 6 के तहत सभी उपखण्ड़ अधिकारी उनके क्षेत्र के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त है। बाल विवाहों को रोकने में वें शासन के प्रति जवाबदेय भी है। संबंधित उपखण्ड़ अधिकारियों के क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना पर उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीकर जन प्रतिनिधियों को जनसमुदाय में बाल विवाह न करने के निर्णय व संकल्प करावें वहीं ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह सम्पन्न के दुष्प्रभावों की चर्चा कर रोकथाम की कार्यवाही करावें।
जिला कलेक्टर ने बताया कि विवाह आयोजकों, कार्ड छापने वाले प्रिंटर, पंडित, हलवाई, लाईट, बैंड बाजा, मेरिज गार्डन, वाहन मालिकों, बाराती, पाण्डाल, टेंट लगाने वाले तथा ट्रांसपोर्ट को प्रचार—प्रसार के माध्यम से विवाह में अपने उत्तरदायित्व निभाने से पूर्व लड़के—लड़की की आयु नियमानुसार हो यह सुनिश्चित करने, बाल विवाह में सहयोग न करने एवं विवाह के लिए छपने वाले निमन्त्रण में वर—वधु की जन्म तारीख अंकित की जाये।
जिला कलेक्टर ने ब्लॉक व जिला स्तर पर गठित सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी की कोर ग्रुप को सक्रिय करने के निर्देश दिए है।
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